Life Insurance Employees Organization’s nationwide campaign on withdrawal of GST एक प्रमुख जीवन बीमा कर्मचारी महासंघ ने शनिवार को घोषणा की कि वह अपनी कुछ महत्वपूर्ण मांगों को लेकर राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करेगा। उनकी मुख्य मांगें निम्नलिखित हैं:
बीमा प्रीमियम पर जीएसटी हटाने की मांग:
वर्तमान में, बीमा प्रीमियम पर 18% जीएसटी लगाया जाता है, जिससे पॉलिसी धारकों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ता है। महासंघ का मानना है कि यह कर न केवल बीमा को महंगा बनाता है, बल्कि देश में बीमा सेवाओं को अधिक किफायती और व्यापक बनाने में भी बाधा उत्पन्न करता है।
बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में वृद्धि का विरोध:
महासंघ बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश को और अधिक बढ़ाने का विरोध कर रहा है। उनका तर्क है कि एफडीआई में बढ़ोतरी से भारतीय बीमा कंपनियों की स्वायत्तता और स्थानीय कर्मचारियों की नौकरी सुरक्षा पर असर पड़ सकता है।
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इस राष्ट्रव्यापी अभियान का उद्देश्य:
आम जनता को बीमा क्षेत्र की इन समस्याओं और कर्मचारियों की चिंताओं से अवगत कराना।
सरकार पर दबाव बनाना ताकि इन नीतियों पर पुनर्विचार किया जा सके।
संदर्भ:
बीमा क्षेत्र में जीएसटी और एफडीआई से संबंधित मुद्दे लंबे समय से चर्चा में हैं।
बीमा को अधिक सुलभ बनाने के लिए कई विशेषज्ञ जीएसटी में कमी की वकालत करते हैं।
वहीं, एफडीआई बढ़ने से देश में पूंजी का प्रवाह बढ़ता है, लेकिन यह निजीकरण और विदेशी कंपनियों के प्रभुत्व का भी कारण बन सकता है।
यह अभियान इस क्षेत्र के कर्मचारियों और पॉलिसी धारकों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकता है।
अखिल भारतीय जीवन बीमा कर्मचारी महासंघ (AINLIEF) के महासचिव वी. नरसिम्हन ने एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि महासंघ अपनी मांगों को लेकर सभी राजनीतिक दलों के सांसदों से संपर्क करेगा और उनसे समर्थन की अपील करेगा।
अभियान की रणनीति:
सांसदों से संपर्क:
महासंघ सभी राजनीतिक दलों के सांसदों के साथ बातचीत करेगा और उन्हें इस मुद्दे की गंभीरता समझाने का प्रयास करेगा।
जनता की भागीदारी:
इस मुद्दे को राष्ट्रव्यापी स्तर पर ले जाकर जनता को जागरूक करने का प्रयास किया जाएगा ताकि सरकार पर दबाव बनाया जा सके।
महासचिव का वक्तव्य:
वी. नरसिम्हन ने कहा:
“हम अपनी मांगों को लेकर हर स्तर पर आवाज उठाएंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि बीमा कर्मचारियों और पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा हो। हमारी मांगों के समर्थन में सांसदों से संपर्क करने का यह प्रयास एक महत्वपूर्ण कदम है।”
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अभियान का महत्व:
यह पहल न केवल बीमा कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए है, बल्कि पॉलिसीधारकों के वित्तीय हितों को भी सुरक्षित करने का प्रयास है। जीएसटी हटाने और एफडीआई का विरोध आम जनता और कर्मचारियों के बीच बढ़ती चिंताओं को दर्शाता है।
यहां अखिल भारतीय त्रिवार्षिक महासम्मेलन में देश भर से प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
फेडरेशन की मांगों में नए श्रम कोड को वापस लेना और 2010 के बाद एलआईसी में भर्ती हुए कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करना भी शामिल है।
नरसिम्हन ने कहा कि वर्तमान में बीमा क्षेत्र में एफडीआई 74 प्रतिशत है और केंद्र इसे बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने पर विचार कर रहा है।