No decision on lower GST on insurance on October 19 यदि आपका स्वास्थ्य या जीवन बीमा प्रीमियम का रिन्यूवल समय आ गया है, तो यह सही समय है कि आप अपना रिन्यूवल प्रीमियम भरदें। जीएसटी दरों में कमी की प्रक्रिया अभी चल रही है, लेकिन इसका लाभ उठाने के लिए आपको रिन्यूवल का प्रीमियम भरने में देरी नहीं करनी चाहिए। बेहतर होगा कि आप समय पर प्रीमियम का भुगतान करें ताकि आपका बीमा कवरेज बना रहे।
रिन्यूवल प्रीमियम भरने में देरी न करें
अगर जीएसटी में कटौती होती है, तो आपको अगले रिन्यूवल में इससे लाभ हो सकता है। इसलिए, स्वास्थ्य और जीवन बीमा की रिन्यूवल प्रक्रिया को समय पर पूरा करना सबसे अच्छा है।
यह जानकारी दर्शाती है कि मंत्रियों का समूह अभी GST पर अपनी सिफारिशें तैयार कर रहा है, और इसके बाद यह जीएसटी काउंसिल की बैठक में रखा जाएगा। यह भी स्पष्ट है कि इस प्रक्रिया की कोई निश्चित समयसीमा नहीं है, जिससे यह पता चलता है कि निर्णय लेने में थोड़ी अनिश्चितता हो सकती है।
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यदि आप GST दरों में संभावित बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन इस बीच अपनी बीमा रिन्यूवल की योजना को प्राथमिकता देना बेहतर होगा। इससे आपकी कवरेज में कोई व्यवधान नहीं आएगा।
हालांकि जीएसटी के लिए समग्र दर को तर्कसंगत बनाने की कवायद में कुछ समय लग सकता है, लेकिन बीमा प्रीमियम के लिए कर की दर में कटौती पर परिषद की अगली बैठक में विचार किया जा सकता है। सूत्रों ने बताया कि फिलहाल जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक के लिए कोई तारीख तय नहीं की गई है, हालांकि उम्मीद है कि नवंबर के दूसरे पखवाड़े में बैठक होगी.
अंतिम फैसला जीएसटी काउंसिल करेगी, अगली GOM बैठक नवम्बर में
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जीएसटी परिषद/GST Council के तहत मंत्रियों के समूह, जिसे बीमा उत्पादों पर जीएसटी प्रतिशत दर की समीक्षा करने का अधिकार दिया गया है, की 19 अक्टूबर को बैठक हुई थी। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के नेतृत्व वाले GOM का विचार है कि टर्म जीवन बीमा और वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य कवर नागरिकों को जीएसटी से छूट मिलनी चाहिए। इसी तरह, वरिष्ठ नागरिकों के अलावा अन्य व्यक्तियों के लिए 5 लाख रुपये तक के कवर वाली स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों को भी जीएसटी से छूट दी जानी चाहिए।
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यदि जीएसटी की दरों में कमी होती है, तो निश्चित रूप से पॉलिसीधारकों को काफी राहत मिलेगी। वर्तमान में 18% की दर से जीएसटी लगाने का बोझ पॉलिसीधारकों पर पड़ता है, जिससे बीमा प्रीमियम महंगे हो जाते हैं। दरों में कमी से बीमा प्रीमियम में गिरावट आएगी, जिससे अधिक लोग बीमा खरीदने के लिए प्रेरित हो सकते हैं और उनके लिए स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा की पहुंच आसान हो जाएगी।
इस बदलाव का असर केवल वित्तीय राहत पर नहीं, बल्कि सुरक्षा कवरेज के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर भी होगा। इसके साथ ही, इस प्रक्रिया के दौरान उपभोक्ताओं को सही समय पर अपने नवीनीकरण करने की सलाह दी जाती है।
उम्मीद है कि GOM /Group of Ministers एक और बैठक आयोजित करेगा और 30 अक्टूबर तक अपनी रिपोर्ट जीएसटी परिषद को सौंप देगा।
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सितंबर में जीएसटी परिषद की आखिरी बैठक में, परिषद की अध्यक्षता करने वाली वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीओएम के गठन की घोषणा की थी। उन्होंने यह भी कहा था कि जीओएम की रिपोर्ट नवंबर में काउंसिल की बैठक में ली जाएगी.