उम्र के बढ़ने के साथ साथ हमारे शरीर पर बिमारियों का प्रभाव भी बढ़ता जाता है। किसी भी बीमारी के इलाज के लिए दिए जाने वाले एंटीबीओटिक दवाओं का ज़्यादा सेवन हमारी सेहत पर दुष्प्रभाव डालता है। हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों ने ऐसा दावा किया है।
दुष्प्रभाव, रिपोर्ट के मुताबिक एंटीबयोटिक दवाओं के लेने से आँतों की आंतरिक परत को नुक्सान पहुँचता है। रिपोर्ट में कहा गया है आँतों की परत को नुक्सान होने से बैक्टीरिया आँतों के भीतर पहुँच जाते हैं। यह आंत में सूजन रोग को बढ़ावा देने के लिए ज़िम्मेदार हैं ।
- लिवर और किडनी पर असर पड़ने का खतरा होता है।
- संक्रमण से लड़ने वाले बैक्टीरिआ को नष्ट कर देती है एंटीबयोटिक दवा।
- जुखाम और खांसी जैसे साधारण रोगों के लिए भी असर में कमी ला देती है।
- 85 फ़ीसदी मौतें एशिया और अफ्रीका में दर्ज की गयी हैं।
- इन्हीं एंटीबयोटिक दवाओं के कारण 2019 में दुनिया भर में 13 लाख़ से अधिक मौतें हुईं।
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एंटीबयोटिक दवाओं के कारण आंत की प्रतिरक्षा प्रणाली समय से पहले माइक्रोबायोम से अलग हो जाती हैं और सूजन जैसे हालात बनने लगते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक सूजन रोग IBD के विकसित होने में आमतौर पर कई कारक शामिल होते हैं, लेकिन आंत में मौजूद बैक्टीरिया इस रोग के बढ़ने में ज़िम्मेदार हैं।
अध्ययन, इज़राइल की यूनिवर्सिटी बार इलान के वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया है व साइंस एडवांसेज में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि एंटीबयोटिक आंत के सुरक्षात्मक परत को कमज़ोर कर रहे हैं। साथ ही आनुवंशिकी और पर्यावरण भी IBD के विकसित होने के कारण हैं। शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए RNA अनुक्रमण मशीन लर्निंग तकनीक का इस्तमाल किया।
रिपोर्ट का निष्कर्ष, विशव स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया में एंटीबयोटिक दवाओं के ज़्यादा सेवन से बेअसर हो जाएँगी और अगले 25 साल में लगभग 1 करोड़ से अधिक लोगों की जान जा सकती है।
प्रोसीडिंग्स ऑफ़ नेशनल एकेडेमिक्स ऑफ़ साइंस में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक एंटीबयोटिक से हमारा गट माइक्रोबायोम को नुक्सान हो रहा है जिससे शरीर पर इसका काफी गलत असर पड़ता दिखाई दे रहा है।